चोखेरबाली ब्लाग पर एक मजेदार बहस चल रही है, कुछ कुछ गंदी लड़की की तरह ही। वहां पतित होने की बात की जा रही है। बाद में जाने किस भय से पतित होने के प्रगतिशीलता व मूल्यों के साथ जोड़ कर पेश किया जा रहा है। भड़ास के यशवंत सिंह की यह पोस्ट आंख खोलती है कि ये जो पतित होने के साथ मूल्य वगैरह की जो लोग बातें कर रहे हैं दरअसल वे एक बार फिर मर्यादा व सभ्यता बनाये रखने वाले लोगों के समर्थन में बोल रहे हैं। इन्हीं मर्यादा व सभ्यता ने हजारों लाखों स्त्रियों को मार डाला है, बेच डाला है, कुएं में कूदने में पर मजबूर किया है, घर में जलाने या जल जाने पर मजबूर किया है। इस मर्यादा और सभ्यता, इस मूल्य व प्रगतिशीलता की ऐसी की तैसी की जानी चाहिए। यशवंत का चोखेरबाली पर प्रकाशित आलेख हू ब हू यहां दिया जा रहा है
यशवंत सिंह
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मनीषा ने जो लिखा, मैं पतित होना चाहती हूं, दरअसल ये एक जोरदार शुरुआत भर है। उन्होंने साहस बंधाया है। खुल जाओ। डरो नहीं। सहमो नहीं। जिन सुखों के साथ जी रही हो और जिनके खोने का ग़म है दरअसल वो कोई सुख नहीं और ये कोई गम नहीं। आप मुश्किलें झेलो पर मस्ती के साथ, मनमर्जी के साथ। इसके बाद वाली पोस्ट में पतनशीलता को एक मूल्य बनाकर और इसे प्रगतिशीलता के साथ जोड़ने की कोशिश की गई है। यह गलत है।
दरअसल, ऐसी ऐतिहासिक गल्तियां करने वाले लोग बाद में हाशिए पर पाए जाते हैं। कैसी प्रगतिशीलता, क्यों प्रगतिशीलता? क्या महिलाओं ने ठेका ले रखा है कि वो एक बड़े मूल्य, उदात्त मूल्य, गंभीर बदलाव को लाने का। इनके लिए पतित होने का क्या मतलब? ये जो शर्तें लगा दी हैं, इससे तो डर जाएगी लड़की। कहा गया है ना...जीना हो गर शर्तों पे तो जीना हमसे ना होगा.....। तो पतित होना दरअसल अपने आप में एक क्रांति है। अपने आप में एक प्रगतिशीलता है। अब प्रगतिशीलता के नाम पर इसमें मूल्य न घुसेड़ो। कि लड़ाई निजी स्पेस की न रह जाए, रिएक्शन भर न रह जाए, चीप किस्म की चीजें हासिल करने तक न रह जाए, रात में घूमने तक न रह जाए, बेडरूम को कंट्रोल करने तक न रह जाए....वगैरह वगैरह....।
मेरे खयाल से, जैसा कि मैंने मनीषा के ब्लाग पर लिखे अपने लंबे कमेंट में कहा भी है कि इन स्त्रियों को अभी खुलने दो, इन्हें चीप होने दो, इन्हें रिएक्ट करने दो, इन्हें साहस बटोरने दो.....। अगर अभी से इफ बट किंतु परंतु होने लगा तो गये काम से।
मेरे कुछ सुझाव हैं, जिस पर अगर आप अमल कर सकती हैं तो ये महान काम होगा.......
1- हर महिला ब्लागर अपने पतन का एलान करे और पतन के लक्षणों की शिनाख्त कराए, जैसा मनीषा ने साहस के साथ लिखा। अरे भइया, लड़कियों को क्यों नहीं टांग फैला के बैठना चाहिए। लड़कियों को क्यों नहीं पुरुषों की तरह ब्लंट, लंठ होना चाहिए....। ये जो सो काल्ड साफ्टनेस, कमनीयता, हूर परी वाली कामनाएं हैं ये सब स्त्री को देवी बनाकर रखने के लिए हैं ताकि उसे एक आम मानव माना ही न जाए। तो आम अपने को एक आम सामान्य बनाओ, खुलो, लिखो, जैसा कि हम भड़ासी लिखते कहते करते हैं।
2- सबने अपने जीवन में प्रेम करते हैं, कई बार प्रेम का इजाहर नहीं हो पाता। कई बार इजहार तो हो जाता है पर साथ नहीं जी पाते....ढेरों शेड्स हैं। लेकिन कोई लड़की अपनी प्रेम कहानी बताने से डरती है क्योंकि उसे अपने पति, प्रेमी के नाराज हो जाने का डर रहता है। अमां यार, नाराज होने दो इन्हें.....। ये जायेंगे साले तो कई और आयेंगे। साथ वो रहेगा जो सब जानने के बाद भी सहज रहेगा। तो जीते जी अपनी प्रेमकहानियों को शब्द दो। भले नाम वाम बदल दो।
3- कुछ गंदे कामों, पतित कृत्य का उल्लेख करो। ये क्या हो सकता है, इसे आप देखो।
4- महिलाओं लड़कियों का एक ई मेल डाटाबेस बनाइए और उन्हें रोजाना इस बात के लिए प्रमोट करिए कि वो खुलें। चोखेरबाली पर जो चल रहा है, उसे मेल के रूप में उन्हें भेजा जाए।
5- छात्राओं को विशेष तौर पर इस ब्लाग से जोड़ा जाए क्योंकि नई पीढ़ी हमेशा क्रांतिकारी होती है और उसे अपने अनुरूप ढालने में ज्यादा मुश्किल नहीं होतीं। उन्हें चोखेरबाली में लिखने का पूरा मौका दिया जाए।
6- एक ऐसा ब्लाग बनाएं जो अनाम हों, वहां हर लड़की अनाम हो और जो चाहे वो लिखे, उसे सीधे पोस्ट करने की छूट हो, भड़ास की तरह, ताकि आप लोग गंभीरता व मूल्यों के आवरण में जिन चीजों को कहने में हिचक रही हैं, जिस युद्ध को टाल रही हैं, इस समाज के खिलाफ जिस एक अंतिम धक्के को लगाने से डर रही हैं, वो सब शुरू हो जाए।
जय चोखेरबालियां
यशवंत
(चोखेरबाली ब्लाग से साभार)
2 comments:
hiiiiiiiiiiiii
india is great countery.i proud to be indian.
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