

तस्लीमा नसरीन की फैन थी, हूं और रहूंगी। एक स्त्री किस तरह मर्दों से लड़ सकती है, कितनी आजादखयाली से बोल, लिख और जी सकती है, तस्लीमा ने अपने लेखन व जीवन से यह सब साबित किया है। और उन्हें सच व साफ कहने के खतरे भी लगातार झेलने पड़े हैं। सूअरों और सांड़ों के फतवों-फरमानों के खौफनाक साये में जीना भी पड़ रहा है। पर इससे तस्लीमा, तुम डरना नहीं। तुम्हारे जीवन, लेखन व स्टाइल से हम सब चुपचाप सीख रही हैं, बोलना, जीना और लड़ना। हममें तुम्हारे जितना शायद साहस नहीं कि खुलेआम अपनी पर्सनाल्टी सबके सामने लाकर नंगा नंगा कड़वा सच बोल सकें, अब भी हम डरती और सहमती हैं, सूअर प्रधान समाज से। पर मैं तो तुम्हारी सदा से फैन रही हूं, और चाहूंगी कि इस ब्लाग के जरिये तुम्हारे विचारों को बाकी लड़कियों के सामने ला सकूं जिससे वे स्वाभिमान से और आजादी से जीना सीख सकें, न कि अच्छी लड़की बनने के चक्कर में एक बेहद घटिया और गंदा जीवन जीने को मजबूर हों। उससे अच्छा तो यही होगा कि हम मस्त, आजाद, स्वाभिमान के साथ जिएं, भले ये सूअर हमें गंदी लड़की कहें।
3 comments:
आप जो भी हो कोई सन्देह नहीं है कि एक साहसी युवती हैं । यही तेवर बनाए रखिए और भड़ास पर सहमी सी महसूस क्यों कर रहीं थीं ? आपका स्वागत है आकर पुरजोर गरियाइए ,डर अपने आप ही दूर हो जाएगा ।
yes u r simply a brave woman.And u r on the right way.We will support u.
we r with u
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