2/15/2008

लड़की माने स्तन और योनि

ऐसा क्यों होता है कि कोई लड़का या पुरुष अगर किसी लड़की या स्त्री के प्रति सोचना शुरू करता है तो उसके अवचेतन में सबसे पहले लड़की के स्तन व योनि ही आते हैं। आशय ये है कि लड़का लड़की को लेकर सबसे पहले सेक्स के बारे में ही क्यों सोचता है, उसकी कोशिश यह क्यों रहती है कि वह लड़की को बस कब पा जाये अकेले में और उसकी राजी खुशी या विरोध इनकार के बाद भी उससे वह सब कर ले जो उसके मन में चल रहा है। मैंने इन सवालों के जवाब तलाशने की बहुत कोशिश की, कई लड़कों से भी बात की पर कहीं समझ में नहीं आया। ये जल्दबाज तो इतने होते हैं लेकिन जब वाकई इनके साथ मर्जी से सेक्स करने को तैयार हो जाओ तो ये इतनी जल्दी शांत हो जाते हैं कि पूछो मत। मतलब पहले जल्दबाजी और बाद में चूहा बनकर बैठ गए। ये हड़बड़ी क्या पुरुष में प्राकृतिक होती है। कहा तो यही जाता है कि ये प्राकृतिक होती है लेकिन मेरा मानना ये है कि ये हड़बड़ी इसलिए होती है क्योंकि समाज ने लड़कियों को अच्छी लड़कियां बनाकर रखा है और उन्हें योनि शुचिता को लेकर इतना सावधान किया गया होता है, इतना डरा दिया गया होता है, इतने नियम कानून बना दिया गया होता है कि लड़की सेक्स के बारे में सोचते ही डरने लगती है। उसे यह पाप, अपराध और जीवन की अंत की तरह समझ में आता है। उधर लड़कों और पुरुषों को सांड़ की तरह रखा जाता है, जहां जी चाहे मुंह मार लोग। तो शायद इन्ही दोहरे मानदंडों की वजह से लड़की हमेशा एक सेक्स सिंबल बनकर रह जाती है।

यह जो पुरुष और लड़की की मानसिकता में अंतर है वह खत्म तभी हो सकता है जब लड़की भी एक सांड़ की तरह हो जाए। उसे भी छूट दी जाए कि वो जहां चाहे मुंह मार ले और समाज या परिवार उसका बाल बांका भी न कर पाए। क्यों, सांड़ क्यों पुरुष क्यों हो सकता। लड़की क्यों नहीं हो सकती। उसे भी खुलेआम लड़के पटाने और उनको पेलने और फिर उन्हें लातमारकर छोड़ देने का हक है। लेकिन इतनी साहस वाली लड़कियों को समाज जीने देगा। क्योंकि समाज इन सूअरों पुरुषों द्वारा ही तो बनाया गया है। बहन ने अगर अंतरजातीय प्रेम भर कर लिया तो भाई उसे मार डालता है। आए दिन ऐसी खबरें पश्चिमी यूपी और देश के अन्य हिस्सों से मिलती रहती है। लेकिन भाई कितनी लड़कियों के पीछे मतवाला हुआ पड़ा है, बहन इसके लिए उसे कभी नहीं टोक सकती।

कितना गंदा, कितना कुत्ता और कितना सुअरपने का समाज और सभ्यता है हमारी जहां मनुष्य के बीच ही दो तरह के सामाजिक नियम, मानदंड, सोच, मानसिकता और व्यवहार तय किया गया है।

थू है पुरुषों पर, समाज पर और इस देश पर। लड़कियों, जल्द से जल्द गंदी बनो। बोल्ड बनो। जो जी चाहे करो, वो चाहे गलत ही क्यों न हो क्योंकि अगर अच्छे बुरे चक्करों में पड़ी रही तो ये कुत्ते पुरुष कई सदियों तक हमें यूं ही दोयम दर्जे का बनाकर रक्खे रहेंगे और हमको सिवाय एक योनि व स्तन की गुडि़या समझने के, और कुछ नहीं समझेंगे।
गंदी

17 comments:

Kuwait Gem said...

hum un purusho me se hai jo mahila ko raaj karne dena chahta hai.jab tak mahila politicialy,socially purush samaj se takkar nahi leti tab tak productin me mahila ki hisedari barabar nahi hogi mahila sirf yoni aur stan se aage nahi badh sakti

viruslover said...

लेखक या लेखिका जिसने भी अपने विचार प्रस्तुत किये हैं अत्यंत विचारनीय है समाज का यह परिद्रश्य जीवन को पतन की ओर ले जाताहै कभी लड़को ने यह सोचा है की उनकी बहन की मां के या उनकी घर के अन्य महिला सदस्यों के स्तन या योनि की परिकल्पना कोई कर रहा होगा यदि आप सुधरोगे गे हर महिला को सम्मान की नजरों से देखो गे तभी आप अपने घर समाज की महिला को सम्मान दिला सकते हो
रही बात महिलाओ की वो सितियाबाजी या लौंडा पटाने के कार्य करें तो नैतिक पतन और बढ़ जायेगा क्योकि समाज के टेकेदार पुरुष ही इन कार्यों को करें तो ठीक हैं क्योकि महिला घर समाज को संभालती हैं न की खुद बिगाड़ कर समाज मैं अनैतिकता फैलाती हैं

viruslover said...

लेखक या लेखिका जिसने भी अपने विचार प्रस्तुत किये हैं अत्यंत विचारनीय है समाज का यह परिद्रश्य जीवन को पतन की ओर ले जाताहै कभी लड़को ने यह सोचा है की उनकी बहन की मां के या उनकी घर के अन्य महिला सदस्यों के स्तन या योनि की परिकल्पना कोई कर रहा होगा यदि आप सुधरोगे गे हर महिला को सम्मान की नजरों से देखो गे तभी आप अपने घर समाज की महिला को सम्मान दिला सकते हो
रही बात महिलाओ की वो सितियाबाजी या लौंडा पटाने के कार्य करें तो नैतिक पतन और बढ़ जायेगा क्योकि समाज के टेकेदार पुरुष ही इन कार्यों को करें तो ठीक हैं क्योकि महिला घर समाज को संभालती हैं न की खुद बिगाड़ कर समाज मैं अनैतिकता फैलाती हैं

Love said...
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Love said...

main aapki baat se bikul sahmat hun ki ladko ko ladkiyo me sabse pahle yahi dikhai deta hai..... but 10% to ladke aise bhi hai na jinhe ladki me aur khubiya pahle najar aati hain..... and mujhe nahi lagta ki saari ladkiya sarif hai..... kitne hi examples humare saamne aate hain... ladki ek sath 2-3 k sath affair bhi chalati h, and sex b karti k... aur jab use aur koi kyada paise wala mil jata h to pichle ko chod kar uske pass chali jaati hai.....AYYAASHI karne k liye.......

han ye samaj hum kamine purusho ne hi banaya hai...

ek ladke ko pata chale ki uska baap uski ya 18-20 saal ki ladkiyo k sath masti kar raha h..... sex kar raha h...... use kaisa feel hoga? sharm b aa sakti h.... aur garv bhi mahsus ho sakta h.... dosto k saamne b vo ye baat bata sakta hai......
but.......
uski maa kisi aur k sath ye sab karti h... how he feel that time? he want to die.....

apni limits dono cross kar chuke h.... aisa bilkul bhi nahi hai ki ladkiya piche hai.... but vo abhi itni open nahi hui hai...... jis din vo bhi open ho gai us din samaj mum ho jayega.....

koi shadi nahi karna chahega.... koi bachche nahi chahega.....

ladki apne bhai ke sath hi lagi hogi...... ladke apni bahan k sath soya karenge.....

sunne me ho aisa lagta ho agr vo sab ho gaya to kaisa hoga?

Raj Patel said...

Shadi Vivah Ke Liye log on karein www.pyarasabandhan.com

coolBOY said...

इन सभी कमेँट को पढने के बाद मै यहाँ सभी से सहमत हूँ पर खास तौर पर LOVE ने जो बात कही वो आप सभी के विचार योग्य है क्योँकि हर लङका एक जैसा नहीँ होता, और ये बात सरासर गलत है कि जो ज्यादा लङकि बाजी नही करता वो सैक्स नहीँ कर सकता।
हर कोई लङका या लङकी गलत या खुले साँड वाली कहावत को पसन्द नहीँ करते।
मै ये नहीँ कहता कि मुझे सेक्स करना पसन्द नहीँ पर मै सेक्स न करके इस समाज को जानना चाहता हूँ। आज मेरे पास 8 गर्लफ्रेँड है वो मुझे प्यार नहीँ करती ये जानता हूँ पर मै कुछ कहता नहीँ क्येँकि मै जानता हूँ कि वो सब मुझसे और दूसरे लङको को पटा कर सेक्स करवाना चाहती है।
पर हर लङका,लङकी एक जैसे नहीँ होते।
अगर वाकई कुछ बदलना चाहते हो तो ईस देश कि कानून व्यवस्था को सबसे पहले बदलो।

sourav dhanjal said...
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Deepika said...

hmmm...yeh article padh k main soch me padh gyi hu...ladke jo chahe woh kre jise chahe uski band bajaye par unk iss ravaiye se samaj k system ko koi pareshani nhi lekin jahan kisi ladki ko ladke k sath ghoomta paaya toh use yeh hmara samaj GANDI LADKI smjhta h... koi mujhe GANDI LADKI ka mltab smjhayega ?
jeene ka sbko haq h fir saare bandhan ladkiyo k liye hi kyu? ?
or yeh jaroori nhi ki samajh me faili kritiyo ko sudharne k chakkar me hm khud ladko ki dekha dekh neech harkate kre
auro ko badalne k liye khud ko badalna sahi nhi h
ladke jo kre krne do pr ladkiyo ko woh krna chahiye jo unk liye sahi h
shayad isliye hi samaj me stri ...naari ko hi pooja jaata h

Anonymous said...

deepika ji ki baaton se mai ittefaq rakhata hoon ki ladkiyon ko vahi karna chahiye jo unke hit me ho .mai bhi deepika ji ke vicharon se sahmat hoon ki(yeh jaroori nahi ki samaj me faili kuritiyon ko sudharane k chakkar me hum khud ladko ki dekha-dekhi neech harkate karne lagein.auro ko badalne k liye khud ko badalna sahi nahi hai.
ladke jo karen karne do par ladkiyon ko woh karna chahiye jo unake liye sahi ho.
shayad isliye hi samaj me stri ...naari ko hi pooja jaata hai)

kehte hai"HUM BADLENGE YUG BADLEGA" is badalane ka tatparya yeh nahi ki aap pashchatya deshon ka anukaran kar apane sath apana pariwar samaj aur desh ko gart me le jane ki sochne lage bharat me humesha hi stri "POOJYNEEY THI,HAI AUR RAHEGI" stri ko bhi gambheerta se vichar karna hoga ki usaka ek galat kadam usaki ek pirhi ko bhi apane sath gart me le jayega.pahale ki tarah aaj bhi STRI KO SAMMAN PANE KE LIYE _SEETA SAVITRI AHILYA AADI jaisa karya karna hoga jis se unhe kal bhi pooja jata tha aaj bhi pooja jaraha hai aur humesha pooja jayega.

khair jis lekhika /lekhak ne yeh likha hai shayad voh bhartiy maryada se bahar pashchatya deshon ka anukaran -anusharan kar rahe hain.yeh unka apane soch ka parichayak hai ki ve kis mansikta ke hain.par mere vichar se yeh galat hai ki mai jis vichar dhara ka samathan karoon sabhi ko usi raah par chalane ki salah doon .lekhak /lekhika se nivedan hai ki aise dushkritya bhare post likh kar aap apane sath poore samaj/desh ko galat raah par jaane ko prerit kar rahe hain ,mere vichar se aap se achchhi to woh veshyayein hai jo sirf apana jism bechati hai par woh bhi apane pariwar/samaj me aakar jism bechane ka jikra nahi karati.mujhe lagta hai aap ke sath koi bura hadasa huaa hai jiska badla aap is samaj se lene ke liye aisi bbatein kar rahe hai . agar aisi koi baat aapke ateet me huaa hai to aap kripaya .achchhi-achchhi dharmik pustakein parhiye ,dharmik sthal par jaiye yog, pooja path me man lagaiye aapki yeh wasnatmak beemari door ho jayegi .ishwar aapko sad-budhi pradan kare mai prathana karunga -"jay maa bharti"

Anonymous said...

Awareness jari rakhe ladkiyo... Or call karti rahe 9386218309 for dating.

Unknown said...

pachhimi sabhayta ki nakal karke hum apna bhut kuchh gava chuke hai,aj jo bhi bhrstachary samajik aur natik mulyo ka ptan , ye sab pachhim ki nakal ka hi parinam hai ,dosto se yeha anurofh hai ki des ko ttha samaj ko patan se bachaye aur ek swachh samaj ke nirman me sahyog kare.

Anonymous said...

अपने घर पर नजर जरुर डाल ले। औरत हर घर मेँ होती है।
www.yuvaam.blogspot.­com

हीरक ि‍ said...

हकिेहि ेक‍ि




Unknown said...

ANONYMOUS k vicharo se m sahmat hu.

satvinder said...

लगता है लेखिका के अनुभव लड़कों को लेकर अच्छे नही रहे हैं| पुरूषों के लिए सुअर, कुत्ता व खुला सांड जैसी उपमाएं देखकर ऐसा महसूस होता है कि शायद उन्होने पुरूषों का गंदा रूप ही देखा है| किंतु ऐसा नही है कि सारे पुरूष ऐसी सोच रखते है और ना ही सारी स्त्रियां अबला नारी होती है|

ऐसे भी बहुत से पुरूष मिल जाऐंगे जो महिलाओं को सम्मान की नजर से देखते है और बहुतेरी ऐसी महिलाएं भी मिल जाएंगी जो पुरूषों का इस्तेमाल करती हों, उन्हे कपड़े की तरह बदलती हों भले ही इस तरह के स्त्री-पुरूषों की संख्या कम हो|

पुरूषोंं का जितना गंदा चित्रण लेखिका ने किया है मैने ऐसे बहुत से पुरूष देखे है और कुछ हद तक इससे सहमति जताई जा सकती है| किन्तु जिस तरह इस लेख मे सारे पुरूषों को अति-घृणास्पद, गंदा दर्शाया गया है और सभी स्त्रियों को उतना ही गंदा बनने की सलाह दी जा रही है, वह अति है| इस तरह तो समाज ही नही बचेगा, हम सब कुत्ते-बिल्ली जैसे हो जाऐंगे मां-बाप, भाई-बहन, पिता-पुत्री, मां-बेटा, कोई रिश्ता ही नही बचेगा|

इस तरह के समाज की परिकल्पना करने से भी घिन आती है इसलिए मै लेखिका के इस तर्क से बिल्कुल भी सहमत नही हूं|

धन्यवाद

satvinder said...

लगता है लेखिका के अनुभव लड़कों को लेकर अच्छे नही रहे हैं| पुरूषों के लिए सुअर, कुत्ता व खुला सांड जैसी उपमाएं देखकर ऐसा महसूस होता है कि शायद उन्होने पुरूषों का गंदा रूप ही देखा है| किंतु ऐसा नही है कि सारे पुरूष ऐसी सोच रखते है और ना ही सारी स्त्रियां अबला नारी होती है|

ऐसे भी बहुत से पुरूष मिल जाऐंगे जो महिलाओं को सम्मान की नजर से देखते है और बहुतेरी ऐसी महिलाएं भी मिल जाएंगी जो पुरूषों का इस्तेमाल करती हों, उन्हे कपड़े की तरह बदलती हों भले ही इस तरह के स्त्री-पुरूषों की संख्या कम हो|

पुरूषोंं का जितना गंदा चित्रण लेखिका ने किया है मैने ऐसे बहुत से पुरूष देखे है और कुछ हद तक इससे सहमति जताई जा सकती है| किन्तु जिस तरह इस लेख मे सारे पुरूषों को अति-घृणास्पद, गंदा दर्शाया गया है और सभी स्त्रियों को उतना ही गंदा बनने की सलाह दी जा रही है, वह अति है| इस तरह तो समाज ही नही बचेगा, हम सब कुत्ते-बिल्ली जैसे हो जाऐंगे मां-बाप, भाई-बहन, पिता-पुत्री, मां-बेटा, कोई रिश्ता ही नही बचेगा|

इस तरह के समाज की परिकल्पना करने से भी घिन आती है इसलिए मै लेखिका के इस तर्क से बिल्कुल भी सहमत नही हूं|

धन्यवाद