2/20/2008

वो बेचारी तो जान भी नहीं पाती कि सेक्स होता क्या है

गांव में मेरे पड़ोस में एक परिवार है। वहां नई बहू आई। परिवार काफी बड़ा होने से उस बहू के पति देर रात घर में आते और बिलकुल मुंह अंधेरे निकल जाते घर से। नई बहू जब पुरानी हो गई तो मैंने उसे छेड़ना शुरू कर दिया। बताओ, बताओ। सुहागरात में क्या हुआ। कैसे हुआ। वो बिचारी शुरू में शरमाती, सकुचाती रही। बाद में वो मुझसे खुलने लगी। उससे बातचीत के बाद मुझे एक चीज समझ में आई की उसने अभी तक सेक्स को जिया ही नहीं। उनके पतिदेव आते और कुछ कुछ करके चले जाते। वो बेचारी जब तक समझ पाती कि ये हो क्या रहा है, पतिदेव घर से जा चुके होते। उस स्त्री को बाद में सेक्स में कोई रुचि नहीं रही क्योंकि सेक्स उसके लिए एक बेहद लिजलिजा अनुभव होता था जिसमें सिर्फ उसके कपड़े खराब हो जाते थे। वो सेक्स से दूर रहने लगी। मैंने महसूस किया कि उसके अंदर सेक्स की नीड थी लेकिन जिस संयुक्त परिवार में वो रह रही थी वहां सेक्स के लिए कोई मौका न था। पूरे दिन उसे काम में पड़े रहना पड़ता था। घर बार चौका चूल्हा बड़े छोटों का सेवा टहल, ये सब करते कराते आधी रात, और फिर वो बेहोश होकर सो जाती। इसी बीच पतिदेव आकर कुछ कर जाते। जिसे वो आधे जगे आधे सोये ही झेलती रहती और उनके जल्दी जाने का इंतजार करती। उनके जाते ही वो पैर फैलाकर सो जाती, जैसे सदियों से उसकी नींद पूरी न हुई हो।

क्या लाइफ है हम लोगों की यार। अगर सेक्स को न जी सके, न महसूस कर सके तो क्या कर सकती हैं हम सब। कोई सुख नहीं उठा सकतीं। सेक्स दरअसल एक प्रतीक है। हमें सेक्स में सुख के लिए लड़ना चाहिए तभी हम दूसरी लड़ाइयां लड़ सकते हैं। अगर हम सेक्स में समझौता कर लेते हैं तो बाकी कहां कहां हमसे समझौता करने के लिए कहा जायेगा, पता नहीं।

सेक्स क्रांति स्त्रियों के जीवन को बदलने का शुरूवात भर है। भारत में तो इसकी जबरदस्त जरूरत है। स्त्रियां जब अपने सेक्स के सुख के लिए लड़ेंगी, अड़ेंगी तो आदमी ससुरे खुद ही भागेंगे पीछे। उन्हें हमारा प्रभाव व प्रभुत्व स्वीकारना पड़ेगा। लेकिन यह तभी होगा जब हर स्त्री अपने सेक्सुअल लाइफ के प्रति सेंसेटिव हो और इसे वो पूरा इंज्वाय करे, इस लाइफ की चाभी अपने हाथ में रखे। हमेशा एक्टिव पोजीशन में रहे और यह एहसास कराये कि दरअसल तुममें तो कम, हमारे में ज्यादा सेक्स भरा है और कायदे से हमें ही उपर होना चाहिए, सदा के लिए और तुम्हें नीचे, हमेशा के लिए......बेडरूम में भी, परिवार में भी, समाज में भी, देश में भी, विदेश में भी....
गंदी

5 comments:

Anonymous said...

Mai ek purush hoon. Aur apni patni ko yahi samjhata hoon ki enjoy sex. Magar vo hamesha hi safai aur gandagi ke chakkar mein lagi rehti hai, aur sex hum dono ke liye hi bojh ho jata hai. Shayad usne shuru se vaisa hi seekha. Isliye ladkiyon ko bhi sex ke bare mein khulkar vichar rakhne jaroori hain. Jo Maa etc. sikhate hain usse aage apna dimag lagakar sekhne ki jaroorat hai.

मैं स्त्री said...

यह सच कहा तुमने कि ऐसी भी लड़कियां हैं जो ठीक से ये भी नहीं जानती कि सेक्स होता क्या है सही में । अगर हो सके तो www.mainstree.com देखो और बताओ कि लडकियों को और क्या क्या जानना चाहिए?

Anonymous said...

too jyadaa chud gayi hai kya ladako se, tere andar itani aag kyo hai raani?

tera aashik

Anonymous said...

saali, tere jaisi ladakiya pahale toh ladako ko fasati hain, saali tum pyaar ka naatak karti ho, fir jab ladake tumhe chod kar chod dete hain to tum blog banaa kar apane dimaag ka gandaapan dikhati ho, jaroor tere boyfriend ne tujhe chod ke bye bye kah diya hai, tabhi too itanaa aag ugal rahi hai.Agar ladako se itani hi nafarat hai to saali kyo chudati ho tum ladako se, apni soch ko sahi karo, wine pikar ya cigerette pikar tum modern banane ka dikhawa kar sakati ho par ban nahi sakati, apnaa dimaag sahi karo, saari dunia sahi ho jaayegi

tumhara well wisher
(chintaa mat kar mujhe tera sharir nahi chahiye)

Anonymous said...

graet job but hi risk